सोमवार, 16 जून 2008

नाक मे नकेल

हाल ही मे जो ख़बर आई है कि प्रसार bhaarti मे १६ करोड़ की लागत से इलेक्ट्रोनिक मीडिया पर निगरानी रखने के लिए एक सेंटर का निर्माण किया गया है इस बात को लेकर मीडिया मे बेशक सरगर्मी हो लेकिन इससे उन लोगो के दिल को एक सुकून कि साँस मिली होगी जो मीडिया के जादू-टोने आदि से तंग आ चुके थे इस सम्बन्ध मे आकाशवाणी पर अभी २-३ दिन पहले एक समीक्षा प्रसारित की गई जिसपर इस बात को लेकर खासी खुशी ज़ाहिर की गई थी कि जिस देश मे संसद,प्रधानमंत्री,यहाँ तक की राष्ट्रपति भी किसी न किसी के प्रति उत्तरदाई है ऐसेदेश मे मीडिया क्यो किसी के प्रति जवाबदेह नही है !इन सबसे अलग ८० -९० के दशक कि वे यादें भी ताज़ा हो जाती है जब आकाशवाणी और दूरदर्शन से प्रसारित होने वाले समाचारों के लिए लोग लंबा इंतज़ार किया करते थे लोगो का इन समाचारों परविश्वास था किंतु अब सिवाए कोरे झूट और फरेब के इन न्यूज़ चेन्नेल्स के पास कुछ नही रह गया है फलत : इन पर से जनता का विश्वास उठ गया है ! लोगो को इन चेन्नेल्स कि टी .आर.पी और झूटी घोषणाओं का चक्कर समझ मे आ गया है और साथ ही इनकी प्रतिनिधि सरकार को भी ! तभी तो इस तरह का कदम उठाया गया मीडिया इससे ज़रूर परेशान होगा और क्यो ना हो उसकी मन मरजी पर एक चोट जो परी है !जो भी है प्राइवेट न्यूज़ चेन्नेल्स कि मनमानी और खबरों को मात्र विज्ञापन बना देने के विरुद्ध सरकार का ये फ़ैसला स्वागत योग्य है !
हमे इसकी सराहना करनी चाहिए ,जो लोग इस बारे मे कुछ अलग मत रखते है या जो ये कहते कि इससे मीडिया कि स्वायत्तता पर प्रश्नचिंह लगेगा तो वो तो मीडिया कि वर्तमान स्तिथि को देखते हुए बेहद ज़रूरी जान पड़ता है ,क्योंकि सवाल स्वायत्तता पर अंकुश का नही है सवाल है खबरों के नाम पर खबरों के अलावा बाकि सब कुछ परोसने का जोकि अब तक बदस्तूर जारी है !..........................................................................................!

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