एकतरफा प्यार
किसी बोद्ध भिक्षु की किताब के पन्नों से टकरा
मर गया मच्छर
फूल की पंखुड़ी की तरह
चिपका है पन्ने से
और अफसोस में
अभिशाप झेलता
बोद्ध-भिक्षु
तड़प तड़प के इस दिल से
आह निकाल
समाधि ले
कर्मविमुख
हो रहा है
किसी बोद्ध भिक्षु की किताब के पन्नों से टकरा
मर गया मच्छर
फूल की पंखुड़ी की तरह
चिपका है पन्ने से
और अफसोस में
अभिशाप झेलता
बोद्ध-भिक्षु
तड़प तड़प के इस दिल से
आह निकाल
समाधि ले
कर्मविमुख
हो रहा है
स्मृति से विस्मृत है उसकी
प्यार से पहले की अवस्था में
पढ़ा ये काव्यांश
चाहे कुछ हो
'जीवन नहीं मरा करता है'
प्यार से पहले की अवस्था में
पढ़ा ये काव्यांश
चाहे कुछ हो
'जीवन नहीं मरा करता है'
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