मंगलवार, 24 जुलाई 2012

क्या मैं आदमी हूँ

तुमने कहा कभी तो हँसा करो,
मेरे लिए ही सही

मैंने अपने आँसुओ को सुखा दिया।
और दाँत दिखाकर हँसने लगा।

तुमने कहा तुम गुस्सा बहुत करते हो।
चिल्लाते क्यों रहते हो हर वक्त।

मैंने पाया
मेरी दुम निकल आयी है।
और मेरी जीभ से लार टपक रही है।

तुमने कहा
इर्रिटेट होना अच्छी बात नहीं।

मैंने अपने दिल के सारे घावों को ढँक लिया
और सेल्समैन की तरह हर बात पर मुस्कराने लगा।


फिर एक दिन तुमने कहा।
तुम 'वो आदमी' नहीं जिससे मैंने प्यार किया था।

मैं सोचने लगा
क्या मैं 'आदमी' हूँ।

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