उसके मरते ही
अचानक ही
सब कुछ पीला हो गया
चेहरे का रंग.......
फैक्ट्री में रखा माल
घर में बनी दाल
घरवालों का हाल
और जो कुछ पीला ना हो सका
वह था
उसकी आँखों का रंग
जिनमें अब तक भी
इस दकियानूसी समाज के लिए क्रोध था
जिसका विरोध करने के कारण ही उसकी जान ली गई ।
2 टिप्पणियां:
अरे वाह तरुण जी। बहुत कुछ कह गए इस छोटी सी रचना में। शानदार अभिव्यक्ति।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
बहुत सुंदर कविता रची आपने।
एक टिप्पणी भेजें