शनिवार, 14 जून 2008

नया ज़माना

बस से आते वक्त रस्ते मे कुछ १३-१४ साल की लडकियां चद्ती है और बस मे बैठे हर एक सज्जन की तरफ़ एक काग़ज़ फैंक कर जाती है जिसमे लिखा होता है,कि हम बेसहारा है आप सब से गुजारिश है कि हमे पाँच ,दस .बीस जो भी आप सज्जन लोगो से बने हमारी मदद करें !
कल मेरी तरफ़ भी इसी तरह का एक काग़ज़ एक छोटी सी लड़की (उम्र लगभग १०-१२साल) ने फेंका मैंने उसे पढ़ा जिसमे वही सब लिखा गया था जिसके बारे मे मैं पहले ही बता चुका हूँ !खैर वह लड़की मेरी तरफ़ हाथ बढाकर खड़ी रही इस आशा मे कि बाबूजी कुछ देंगे लेकिन मैं चुपचाप उसकी मासूमियत की ओर देखता रहा इतने मे मेरे पास बेठे आदमी ने कहा कि "इनका तो रोज़ का काम है,धंधा बना लिया है अब तो !साहब बोलते जा रहे थे और मैं ये सोच रहा था कि इतने छोटे बच्चे पर्चे छपवायेंगे भला ?और ये सोचकर कि इनके पीछे कितना बड़ा गिरोह काम कर रहा होगा !न केवल यहाँ बल्कि न जाने कहाँ-कहाँ ऐसे बच्चे भीख मांग रहे होंगे और हम जैसे लोग उनके बारे मे इस तरह की ही बातें सोच रहे होंगे ! रात मे जब घर पहुँचा तो थका हुआ था टी .वी का स्वित्च दबाया उस पर न्यूज़ आ रही थी कि दिल्ली मे और शहरो के मुकाबले बच्चो का जीवन स्तर बेहतर बनता जा रहा है ! ये sunkar mujhe hansi आ गई और मेरे सामने उसी बच्ची का चेहरा आ गया जो सुबह बस मे मिली थी !

1 टिप्पणी:

बेनामी ने कहा…

hi i'm naina..........aapka blog padhkar bahot achachha laga...............wakai hamare desh me abhi tak bachon ka shoshan ho raha hai sarkar bhale hi kitna bhi kahe ki is chhetra me unhone baot safalta prapta ki hai par hakikat to ye hai ki abh tak bachon ka shoshan ho raha hai.....