पिछले दिनों यमुना में जो उफान आया उसे अधिकतर लोगो ने नकारात्मक नज़रिए से ही देखा होगा देखना भी चाहिए इसने अपने
आस-पास बसने वाली आबादी को अपनी चपेट में ले लिया था जिसके कारन लोगो को कैम्पों में शरण लेनी पड़ी थी । मेरा घर यमुना के उस पार है और हमारी फेकल्टी इस पार । इसलिए मेरा लगभग रोज़ यमुना के इस
पार आना होता है । आज भी आना हुआ ,४ दिन पहले पानी खतरे के निशान तक था
आस-पास की बस्तिया डूबी हुई थी फसल ख़राब हो चुकी थी जिसका परिणाम दिल्ली में सब्जियों के आसमान छूटे दाम है । यह सीज़न त्योहारों का है इससे पहले
श्राद थे । यह सब कुछ था लेकिन एक बात
जो अजीब थी वो ये की यमुना साफ़ थी । जब मैंने यमुना के उफान को पहली दफा देखा तो मुझे एक
ओर उसमे आने वाली बाढ़ के
चिन्ह दिखाई दिए और दूसरी ओर इन त्योहारों के मौसम में भी यमुना के साफ़ रहने पर विश्वास नही हो सका । मन में एक सवाल उठा की जिस यमुना को साफ़
करने के लिए दिल्ली और केन्द्र सरकार हजारों करोड़ रुपए खर्च कर चुकी है जिसके बाद भी कोई पोजिटिव रेसपोंस नही मिल रहा था उसे इस उफान ने कर दिखाया । आज यमुना साफ़ है पानी घट चुका है लेकिन यह ज़्यादा दिनों तक साफ़ नही रह सकेगी दिल्ली में त्योहारों का मौसम इसके नाले के रूप
में परिणत होने का मौसम होता है । नवरात्रे चल रहे है घरो में
माँ दुर्गा की पूजा अर्चना हो रही है । और साथ ही हो रही है इकट्ठी ,धार्मिक सामग्री (फूल , धुप , अगरबती ) । जो आगामी दशहरे के बाद यमुना में विसर्जित होगी । और यमुना दोबारा नाले के रूप में
परिणत होगी । हम दिल्ली वासी ये सब जानते है लेकिन तब भी अपनी धार्मिक भावनाओं को ऊंचा
रखने के क्रम में एक नदी की भावना को मार देते है संभवत यह बाढ़ उसी का अभिशाप हो । ऐसा नही की दिल्ली सरकार ने इस सम्बन्ध में कोशिश नही की । उन्होंने कोशिश की लेकिन वो कोशिश कम और खानापूर्ति ज़्यादा लगी । उसने बस-अड्डे और आई टी ओ के पुल के किनारे लोहे की जालियां लगवा दी लेकिन वह कोई पुख्ता इन्तेजाम नही था इस समस्या का ।
कुछ ही दिनों में ये जालियां वहाँ रहने वाले नशेडियों , स्मेकियों के लिए आमदनी का जरिया बन गई । और उन्होंने साबित कर दिया की दिल्ली सरकार का यह अभियान भी मात्र तुगलकी फरमान है । तब से अब तक यमुना साल में कम से कम दो बार तो ज़रूर धार्मिक कारणों से गन्दी की जाती है । मेरे पास इसका एक समाधान है जिसे
मै अपनी अगली पोस्ट में बताऊंगा तब तक आप सोचिये की इसके लिए
क्या किया जा सकता है । इस बारे में लिखने का मकसद यही है की आप लोगो के सुझाव अभियान बनकर सामने आयें ।