देखते हैं हम जहाँ तक वहाँ तक तुम हो ।
मंज़िलें हों या न हों पर रास्ता तुम हो ।।
जब भी कुछ ग़लत-सा हम काम करते हैं।
डर ये लगता है हमें ना साथ में तुम हो ।।
बस खुशी इस बात की है दोस्ती तो है ।
प्यार का इक़रार नही साथ तो तुम हो ।।
उसको कह सकता नही तुमसे ही कह दूँ मैं ।
तुम ही हो मेरे राज़ और हमराज़ भी तुम हो ।।
कुछ नही था झूठ जो मैंने कहा तुमसे ।
क्यो कहूँगा मैं मेरी हर साँस में तुम हो ।।
इसका ग़िला नही हमारे साथ नही तुम ।
बस ग़िला ये है किसी के साथ में तुम हो ।।
(ये ग़ज़लनुमा पंक्तियाँ उस दौरान लिखीं गयीं जब मैंने पहली बार ज़िन्दगी के सबसे खूबसूरत अहसास से अपना परिचय करावाया )
3 टिप्पणियां:
इसका ग़िला नही हमारे साथ नही तुम ।
बस ग़िला ये है किसी के साथ में तुम हो
"nice thoughts, nice feeling, nice words"
Regards
तरुण जी ज़िन्दगी के सबसे खूबसूरत अहसास को लफ्जों का जामा पहनाने का शुक्रिया,आपने उस एहसास को बेहतरीन ढंग से दिखाया है अपनी रचना में...बधाई
नीरज
hilaa diye guru....
bhagat singh badal raha hai........
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