शनिवार, 26 मई 2012

तुम्हारी आँखें मेरे नाम से ज्यादा खूबसूरत हैं।


तुम्हारे होंठों से
हज़ारों बातों को, सुनने की
चाहत कभी न थी।
बस, नाम मेरा
एक बार भी
तुम्हारे होंठों से न छुआ।
तुमने जब कहा 'तुम'
मैं सर्वनामों में संज्ञा तलाशने लगा
तुम्हें सब कुछ पता है
एक मेरे नाम के सिवा

मेरा चाहत रही सदा
तुम मेरा नाम पुकारों
और तुमने मुझे देख भर लिया।
तब जाके मैं समझा कि तुम्हारी आँखें
मेरे नाम से ज्यादा खूबसूरत हैं।

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