रविवार, 1 जुलाई 2012

मुर्गी की टाँग


मुर्गी की टांग

नौसिखीए गुलशन ने आव देखा न ताव बस बाइक भगा दी और घर की तरफ दौड़ाई। उसके दिमाग से लाली की छवि एकदम से बदलकर मुर्गी की टाँग में समा गयी। घर आके उसने जल्दी से बाइक घर में घुसेड़ी और छत पर चला गया। मैं उसका जिग्री दोस्त हूँ ऐसा वो अक्सर कहता रहता। लेकिन ऐसे मौकों पर वो छत पर भाग जाता। लाली रामदीन टांक की एक लौती लड़की थी। जिसे इम्पैस करने के लिए वो भाई को दहेज में मिली नई नवेली बाइक जबरन दिखाने ले गया था। उसने मुझे ये बताया था पर उसके चेहरे का पसीना कुछ और बयाँ कर रहा था। क्या हुआ मैंने पूछा, कुछ नहीं उसने कहा और गली के छोर पर देखने लगा। ऐसा बदहवास मैंने उसे इससे पहले कभी नहीं देखा था। हमारा मोहल्ला उस वक्त बामन बनियों का मोहल्ला हुआ करता था और गुलशन को सामने के मोहल्ले की लाली पसंद आई थी वो मोहल्ला जहाँ न जाने के लिए हमारे घरवालों सख्त हिदायत दे रखी थी। पर ये लड़कपन का पहला प्यार था सुबह वह अपने मुर्गे-मु्र्गियों को दाना डालने के लिए बाहर निकलती थी यही वक्त चुना था उसने। मुझे पता था ये बवाल तो होना ही एक ना एक दिन। बामन का लड़का और चमारों की लड़की को ..। मोहल्ले की नाक नहीं कट जाएगी। गली के छोर से आवाजे आनी शुरु हुई।
यही गली है चाचा..यही भागा था वो लोंडा। ढ़ँढो यहीं होगा। वो रा चाचा. वो रा. छत पे छुपे गुलशन पर उनमें से एक की नज़र पड़ी। गुलशन भागा। मुझे पता था लाली के चक्कर में ये तगड़ा फँसेगा एक दिन। पर नहीं पता था कि वो दिन इतनी जल्दी आ जाएगा। ये तो शर्मा का घर है। उस समय जीने का दरवाजा बाहर की ओर था खींच कर लाने में कोई तकलीफ नहीं हुई थी उन्हें। तबियत से धुलाई की गई थी। मैं अच्छी दोस्ती का फर्ज निभा दूर से देख भर रहा था ये सब। मैं भागा आंटी गुलशन को वो लोग पीट रहे हैं इतने में मोहल्ला इकट्टा हो गया। साले उसकी टाँग तोड़ के भाग आया। रुकता तब बताते। बात कुछ नहीं थी पर बहुत बड़ी थी। लाली का सुंदर चेहरा उसके चाचा के चाँटों ने धुमिल कर दिया था और उसकी जगह मुर्गी की टूटी टाँग घूम रही थी। उस दिन के बाद गुलशन कभी उस सड़क से नहीं गुजरा। उसने छत से देखा लाली का भाई दाँत में फँसा लैग पीस का कतरा निकालने में व्यस्त था। लाली नीचे माचिस की तीली खोजने गयी हुई थी। मैं दोस्त की पिटाई पर पहले खौफ़ में था पर अब अंदर ही अंदर हँस रहा था कि साले मुर्गी की टाँग टूटने पर तेरा मुँह सुजा दिया उन लोगों ने। अगर मैं बता दूँ कि तून लाली का मुँह चुमा हुआ है तो। मजा आ जाएगा। गुलशन ने उस दिन के बाद लाली के बारे में मुझसे कोई बात नहीं की। कॉलेज में आकर एक दोस्त ने कहा कि लड़कपन का प्यार भी कोई प्यार होता है। 

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