शनिवार, 13 सितंबर 2008

जब मैंने कहा

जब मैंने कहा /मुझे तुमसे प्यार है /तुमने कुछ नही कहा/
बस / तुम हँस दीं ।

जब मैंने कहा / मैं तुम्हें चाहता हूँ बेपनाह/
तुमने कुछ नही कहा बस अपनी उँगलियाँ मेरे होंठो पे रख दीं ।

जब मैंने कहा /चलो आज फिल्म देखने चलते हैं / तुमने कुछ नही कहा /
तुम मुस्कुराईं और क्लास लेने चलीं गईं ।

जब मैंने कहा / शाम मस्तानी है पार्क में चलें क्या ?तुमने कुछ नही कहा /
मेरा हाथ थामा और चल दीं ।

जब मैंने कहा / शादी करोगी मुझसे /
तुमने कहा- पागल हो गए हो क्या ?
आज के बाद हम कभी नही मिलेंगे ।

3 टिप्‍पणियां:

seema gupta ने कहा…

"Really great to read"

Regards

शोभा ने कहा…

वाह! बहुत खूब लिखा है. बधाई.सस्नेह

जितेन्द़ भगत ने कहा…

गजब की थीम है आपके इस अंश में:

जब मैंने कहा / शादी करोगी मुझसे /
तुमने कहा- पागल हो गए हो क्या ?
आज के बाद हम कभी नही मिलेंगे ।

मजाक में भी सुंदर और भाव में भी। शादी कई तरह की आजादी छि‍न लेती है, पढ़ने की, फि‍ल्‍म देखने की, साथ घूमने की। इसलि‍ए शादी से बचना , दुबारा न मि‍लना- एक स्‍त्री वि‍मर्श रचता है।
इस कवि‍ता को इस लि‍हाज से महत्‍वपूर्ण मानता हूँ मैं।