मंगलवार, 30 सितंबर 2008

कभी-कभी

एक भी बात नही बनती अब तो ।
क्या रही कमी अब तो ।।

कुछ भी दिल से निकल नही पाता ।
धड़कन भी है थमी अब तो ।।

राहबर जान कर जिन्हें चाहा ।(दोस्त )
राहजन बन गए वो लोग अब तो।।(लुटेरे)

बात जिनसे नहीं छिपाई कोई ।
वो पूछते है कुछ कहो अब तो ।।

4 टिप्‍पणियां:

seema gupta ने कहा…

राहबर जान कर जिन्हें चाहा ।(दोस्त )
राहजन बन गए वो लोग अब तो।।(लुटेरे)
ah1 bhut shee likha hai, bhut shee good'

regards

जितेन्द़ भगत ने कहा…

बहुत ही खूबसूरत बात कही आपने-
बात जिनसे नहीं छिपाई कोई ।
वो पूछते है कुछ कहो अब तो ।।

आपमें एक अच्‍छा शायर छुपा है, इसे और नि‍खारि‍ए। शुभकामनाऍं।

Unknown ने कहा…

वाह वाह क्या बात है। बहुत अच्छे

kuchbaate.blogspot.com ने कहा…

राहबर जान कर जिन्हें चाहा ।(दोस्त )
राहजन बन गए वो लोग अब तो।।(लुटेरे)
mai in panktiyo sa sahmet nahi hu? mara maanna hai ki kuch kami aap mai raha gaye ho, jissa aap ka राहबर aap ka राहजन ban gaye hoge. ha kabhi jindgi mai ase log bhi milta hai jo dost sa dushman ban jate hai lakin mara maanna hai ki aap kabhi un logo ko phachan hi nahi sake kuki ase log kabhi aap ka dost rahe hi nahi hoge?