ये तस्वीरें गवाह हैं उस गुनाह की दास्ताँ की जो आजकल कैम्पस(आर्ट फैकल्टी, दिल्ली विश्वविद्यालय) में विद्यार्थी परिषद् द्वारा लिखी जा रही है, वाकई वो डरते हैं हमारे चुप रहने से भी; क्योंकि चुप्पी एक विचार है और विचारों की हत्या नहीं होती..., ज्यादा लिखना ज्यादा बोलना है और जब चुप्पी एक कारगर हथियार हो तो बोलना उनलोगों के साथ कन्धा मिलाना होगा जो जन-विरोधी कारनामों को अंजाम दे रहे हैं. ये चुप्पी एक लम्बे वाक-संघर्ष से उपजी है जो ज्यादा खतरनाक साबित होगी इन संस्कृति के ठेकेदारों के खिलाफ . इसलिए साथियों तस्वीरें गवाह हैं...हमारी एकजुटता की, ये गवाह है हमारे साहस की, हमारे मनोबल की, ये गवाह है उनकी कमजोरियों की, उनकी बौख्लाहटों की ....
(बीते दिनों, विद्यार्थी परिषद् के लोगों ने आर्ट फैकल्टी में जनचेतना की पुस्तक प्रदर्शनी पर हमला बोल दिया था, और उनकी गाड़ी को खासा नुक्सान पहुंचाया था, इतना ही नहीं चोरी पर सीनाजोरी यह क़ि अगले दिन पुलिस के सामने जनचेतना के कार्यकर्ताओं के साथ 'देश के गद्दारों को गोली मारों सालो को' जैसी भाषा का प्रयोग कर अपने मंसूबे साफ़ कर दिए थे, इसके बाद वहाँ से एहतियात के तौर पर या किसी और वजह से जनचेतना की गाडी को हटा दिया गया क्योंकि इतनी कुव्वत तो पुलिस-प्रशासन में थी नहीं की ए.बी.वी.पी. के खिलाफ कोई एक्शन वह लेती, सो जनचेतना क़ी गाडी को हटाना ही उसने बेहतर समझा.) वाकई समाज बेहतरी की और बढ़ रहा है...



2 टिप्पणियां:
जितनी भर्त्सना की जाए कम!!
salay harami hai.
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