तुम्हारे बारे में क्या कहूं मै, मेरी तमन्नाओं का सिला है. नहीं मिला जो तो मुझको क्या है, मिलेगा तुमको ये आसरा है.
शनिवार, 29 मई 2010
तालों में 'नैनीताल' बाकि सब तलैया..
'तालों में नैनीताल बाकी सब तलैया' ये गीत उस वक़्त हमारे ज़हन में बार-बार गूँज रहा था जब मै और मेरे दोस्त नैनीताल के पास ही 'भीम-ताल' और 'नौकुचिया-ताल' देखने गए . भीम ताल के बारे में कहा जाता है की इसकी उत्पत्ति भीम ने अपने गदा-प्रहार से की थी और नौकुचिया-ताल इसलिए प्रसिद्द है की इसके नौ कोने है साथ ही यह भी कहा जाता है कि जो भी व्यक्ति इसके नौ कोनों को एक साथ देखले उसके प्राण-पखेरू उड़ जाते है. हम गए तो इसलिए थे कि नैनी-ताल की तरह ही वहाँ हमें नए सुखद-अनुभव मिलेंगे, थोड़ी और मौज-मस्ती होगी लेकिन वहां अनुभव तो मिला पर वो सुखद नहीं बन सका. काफी सूनापन था वहां. कारण तो यही लगता है कि वहाँ की सरकार ने उसे एक टूरिस्ट स्पोट के रूप में विकसित करने की कभी कोशिश ही नहीं की होगी . . नैनीताल अगर आज ज्यादा प्रसिद्द हो सका है तो उसका एक बड़ा कारण , उस पर सरकार की तवज्जो और इसके पास मालरोड का होना भी है.
खैर जब तक नैनीताल में था वहाँ की हवाए बहुत सुहाती थी खासकर नैनी-झील के किनारे-किनारे माल रोड पर चलते हुए आइस-क्रीम खाना . वाह! क्या खूबसूरत एहसास था वो . अब इस वक़्त दिल्ली में यहाँ धुल भरी आँधियों ने मेरे सुखद सर्द-एहसासों पर ज़ोरदार प्रहार किया है दिल्ली और नैनीताल के बीच कही अपने को पाता हूँ .
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2 टिप्पणियां:
आज तो यहॉं का मौसम भी खुशगवार हो चुका है:)
keep it up with gudi gudi writing skills ..
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