एक युग था राम का
एक युग था कृष्ण का
एक रावण-कंस का
और
एक युग है हमारा
यहाँ सब है सबके पास
पर
नहीं है कोई
किसी के साथ
इसलिए
ये युग तो सबका है
पर
इस युग का कोई नहीं
यहाँ
ये कहना , कि वो मेरे साथ है
स्वयं को धोखा देना है
और
हम अब भी सबको अपने साथ मानते हैं
हमें शराब की,
सिगरेट की,
लड़की की लत नहीं
क्योंकि
हमें धोखा खाने की लत लग गई है ।
2 टिप्पणियां:
kitna schcha or achcha likha hai...
badhaaee
भावपूर्ण कविता। बधाई।
एक टिप्पणी भेजें